आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया
कही कोई पत्ता खड़का
कही कोई आहट हुई तो
आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया
कही ओस की बूंद
चिकनी नर्म पाती से बोली
अलविद चलती हूँ तो
आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया
जब लाल सुर्ख गुलमोहर
गर्म बहती हवा में झूम उठा
और ठंडी हवा से बोला अलविदा तो
आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया
तुम्हें पाकर भी खोने का एहसास हुआ
मेरे हर शब्द में तू आवाज हुआ
और जब मै मौन हुआ तो
आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया
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