Sunday, August 29, 2010

सिर्फ तू

आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया


कही कोई पत्ता खड़का

कही कोई आहट हुई तो

आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया

कही ओस की बूंद

चिकनी नर्म पाती से बोली

अलविद चलती हूँ तो

आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया

जब लाल सुर्ख गुलमोहर

गर्म बहती हवा में झूम उठा

और ठंडी हवा से बोला अलविदा तो

आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया

तुम्हें पाकर भी खोने का एहसास हुआ

मेरे हर शब्द में तू आवाज हुआ

और जब मै मौन हुआ तो

आज फिर दिल ने तुम्हे याद किया

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