कुछ भी न साथ जाएगा
तू खाली हाथ ही जाएगा
पैसे के लिए दोस्तों को दुश्मन बनाने वाले
आखरी सफ़र मे बस दोस्त ही साथ जाएगा
तमाम उम्र जिनको अपना समझता रहा
वो केवल कुछ दूर ही साथ जाएगा
आगे का सफ़र अकेले ही तय करना है
ये कारवां तो वापस लौट आएगा
कुछ ही दिन सब रोयेंगे तेरे लिए
भूख प्यास भी होगी ख़तम
पर तेरा मीत ही बाद मै
थैला लटकाए सब्जे मंडी जाएगा
हर एक का अंत देखकर लगा
जैसे कुछ नहीं धरा है जीवन मे
मेरे साथ केवल पाप और पुण्य ही जायेंगा
पर सोचा भी नहीं था कि कभी
रास्ते पर पड़ा ५०० का नोट
मुझे अपनी और खीच ले जायेंगा
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