Sunday, August 29, 2010

यादें

बुझा दो ये चिराग


कि दम घुटता है मेरा

पत्तो की आहट से भी

सर झुकता है मेरा

अँधेरे मे उनकी यादो

को रोशन करूँगा

गर शमा जलेगी

तो अक्स टूटता है मेरा

शरमाकर भाग गए

वो आज इतनी दूर

कि ख़त लिखूं भी अगर

तो शब्द मिटता है मेरा

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