बुझा दो ये चिराग
कि दम घुटता है मेरा
पत्तो की आहट से भी
सर झुकता है मेरा
अँधेरे मे उनकी यादो
को रोशन करूँगा
गर शमा जलेगी
तो अक्स टूटता है मेरा
शरमाकर भाग गए
वो आज इतनी दूर
कि ख़त लिखूं भी अगर
तो शब्द मिटता है मेरा
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