Sunday, August 29, 2010

दर्द

कभी यूँ भी अफसाने बन गए


हम उनके दीवाने बन गए

आंसू तो था एक ही टपका

पर हजारो मैखाने बन गए

हँसतीहुई सूरत में हम

सैकड़ो गम छुपाए हुए

दर दर भटकते रहे

और दीवाने बन गए

उनसे हुजुर तब भी आया न गया

जब मेरी मौत की खबर पहुचीं

राह देखते उनकी जब जल गए हम

मिला न सुकून और अंगारे बन गए

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